अधिकारियों की प्रताड़ना की शिकार हुई महिला अतिथि शिक्षक
राजनगर- जहां एक और सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए बड़े बड़े बादे कर महिलाओं के बोट तो ले लेते है लेकिन चुनाव खत्म होते ही सब कुछ भूल जाते हैं जनप्रतिनिधि, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती नजर आती है ऐसा एक मामला छतरपुर जिले के राजनगर का है जहां एक महिला अतिथि शिक्षक अधिकारियों की प्रताड़ना से इस कदर परेशान है की मानसिक रूप से परेशान होकर अस्पताल के चक्कर काटने को मजबूर है आपको बता दें कि हाल ही जुलाई माह में अतिथि शिक्षक भर्ती का आदेश मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा प्रसारित किया गया था जिस पर रिक्त पदों के विरुद्ध अतिथि शिक्षकों की भर्ती की जानी थी लेकिन शासकीय हाई स्कूल डाहार्रा में एक महिला अतिथि शिक्षक सरोज पटेल जो कि मेरिट सूची में आने के बाद भी आज तक वहां उसकी भर्ती नहीं की गई जिसकी गुहार तहसील से लेकर जिला,और जिला से लेकर राजधानी भोपाल तक अपनी आप बीती सुना आई लेकिन इस मजबूर बेबस महिला की गुहार सुनने वाला दूर दूर तक कोई नहीं दिखाई दे रहा तो वहीं जब महिला का अधिकारियों पर भरोसा उठ गया तो माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर का दरवाजा खटखटाया और उच्च न्यायालय से आदेश होने के बाद भी अधिकारीयो ने उस पर कोई ध्यान नही दिया,और दर-दर भटकने के लिए बेबस हे महिला
वैसे तो बीईओ(शिक्षा विभाग) साहब बड़े ही सख्त अधिकारियों में माने जाते हैं तो शिक्षको और अतिथि शिक्षको पर अधिकारी गिरी दिखाने पर बाज नही आते लेकिन जब उन पर खुद बीतती है य उनकी शिकायत होती है तो बड़े ही नेक ओर नम्र हो जाते है अगर कोई अतिथि शिक्षक सहाब के बिरोध में आते है तो सहाब सख्ती पर उतर जाते है लेकिन वही जब महिला अतिथि शिक्षक अपनी शिकायत लेकर सहाब के यहाँ गयी तो सहाब ने कार्यबाही न कर महिला अतिथि शिक्षक को अतिथि गिरी करने की नसीहत दे डाली
अभी तक तो अतिथि शिक्षक के पद खुलने का बहाना लेकर बैठे रहते थे शिक्षक, लेकिन शासन के द्वारा अतिथि शिक्षकों के पद पोर्टल पर भी खोल दिए गए हैं बावजूद उसके अतिथि शिक्षक दर-दर भटकने को मजबूर है
15 साल तक तो भाजपा सरकार ने अतिथि शिक्षकों का शोषण किया है जैसे तैसे अतिथि शिक्षकों ने कांग्रेश सरकार पर भरोसा जताया और उम्मीद की किरण जगाए बैठे हुए कि कोई तो हम बे सहाय अतिथि शिक्षकों की गुहार सुनेगा लेकिन कुछ अधिकारियों की उदासीनता ओर दबंगयाई के कारण आज भी अतिथि शिक्षक दर-दर भटकने के लिए मजबूर है तो क्या ऐसे में वरिष्ठ कार्यालय अधिकारी प्रताड़ित महिला अतिथि शिक्षक को न्याय दिला पाएगी या ऐसे ही अपनी,बेबसी,लाचारी को लिए दर-दर भटकती रहेगी