अयोध्या पर रिव्यू पिटिशन के बाद क्यूरेटिव पिटीशन का भी है एकविकल्प

जज सिर्फ यह देखते हैं कि क्या जजमेंट में कोई ऐसी बात रह गई जिस पर विचार किया जाना बहत जरूरी था


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या मामले में रिव्यू पिटिशन दाखिल करने का निर्णय लिया है। कानूनी जानकारों के अनुसार पक्षकारों के पास रिव्यू पिटिशन और क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने का कानूनी उपाय अभी बचा हुआ है। रिव्यू पिटिशन और क्यूरेटिव पिटिशन को वही जज देखते हैं, जिन्होंने उस मामले में फैसला सुनाया होता है। रिव्यू पिटीशन पर ओपन कोर्ट में तभी सुनवाई होती है, जब अदालत इसके लिए संतुष्ट हो और अगर ओपन कोर्ट में सुनवाई नहीं होती, तो फिर पक्षकारों को दलील रखने का मौका नहीं मिलता, बल्कि उनकी अर्जी का अवलोकन करने के बाद चेंबर में ही जज फैसला लेते हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील एमएल लाहौटी बताते हैं कि रिव्यू पिटिशन उसी बेंच के सामने दायर की जाती है, जिस बेंच ने फैसला दिया है। जज सिर्फ यह देखते हैं कि क्या जजमेंट में कोई ऐसी बात रह गई जिस पर विचार किया जाना बहुत जरूरी था? क्या जजमेंट में किसी पुराने फैसले की नजीर को नजरअंदाज कर दिया? याचिकाकर्ता जब रिव्यू पिटिशन दायर करता है तो वह गुहार लगाता है कि फैसले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए और इसके लिए अपने ग्राउंड कोर्ट के सामने पेश करता है। कई बार रिव्यू पिटिशन को ओपन कोर्ट में सुनवाई की गुहार लगाई जाती है और जब अदालत इस बात से संतुष्ट होती है कि रिव्यू पिटिशन पर ओपन कोर्ट में सुनवाई करना जरूरी है तभी अदालत आदेश पारित करती है। सबरीमाला और राफेल मामले में रिव्यू पिटिशन पर ओपन कोर्ट में सुनवाई हुई थी।


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