जिसमें सीएम देवेन्द्र फडणवीस बने थे और डिप्टी सीएम पद की शपथ ली।
जिसके बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने इस सरकार गठन में एनसीपी का कोई भी योगदान न होने की बात की। जिसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा गया और फ्लोर टेस्ट से पहले ही बहुमत न जुटा पाने के कारण सीएम बने देवेन्द्र और उपमुख्यमंत्री बने अजित पवार ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया और सरकार गिर गई।
लेकिन सोमवार को सरकार बचाने की एक और कोशिश में सीएम पद पर रहते हुए फडणवीस ने सिंचाई घोटाले में संलिप्त अजित पवार को बड़ी राहत दे दी। अजीत पवार के खिलाफ सिंचाई घोटाले के 9 मामलों को बंद कर दिया गया। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) सिंचाई घोटाले से संबंधित 3000 प्रोजेक्ट्स जांच के घेरे में हैं और इनमें से 9 मामलों को सबूतों के अभाव में बंद कर दिया गया। बताया गया कि अभी तक जिन टेंडर की जांच की गई है,उनमें एसीबी को अजित पवार के खिलाफ कुछ भी नहीं मिला है। जबकि 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान फडणवीस ने इसी घोटाले में शामिल अजित पवार को जेल में चक्की पिसवाने की बात की थी। यह पहली बार नहीं हुआ है इससे पहले भी भाजपा का हाथ थामने वाले कई दागी नेताओं के पाप ऐसे ही धुलते रहे हैं।
भाजपा के इतिहास पर नजर डाले तो अब यह उनके कल्चर का ये हिस्सा हो चुका है जबकि मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का मूल मंत्र है 'न खाउंगा न खाने दूंगा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार ने जो, मुहिम चलाई, उसी का नतीजा है कि पहले 2014 में जनता ने उन्हें बहुमत से जिताया और फिर 2019 में पीएम मोदी को ऐतिहासिक जीत हासिल की।
लेकिन अब भाजपा की फितरत में कुछ बदलाव सा दिख रहा है गलत लोगों को सजा दिलाने वाली पार्टी की छवि रखने वाली भाजपा बदली हुई नजर आने लगी है। भाजपा के सत्ता में आने के बाद बहुत सारी पार्टियों के दागी नेताओं ने अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामा है।