मप्र सरकार ने केंद्र से मांगायरिया का अतिरिक्त कोटा

अपना लक्ष्य


भोपाल किसानों की जरुरतों के मददेनजर प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने केंद्र सरकार से दिसंबर के लिए 2.40 लाख मीट्रिक टन यूरिया का अतिरिक्त कोटा मांगा हैवहीं, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में यूरिया संकट नहीं है। सरकार कोटा बढ़वाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री की ओर से केंद्र को पत्र भी लिखा गया है।यूरिया की मांग घटाने और नवंबर तक की आपूर्ति में कमी करने के बावजूद इस वर्ष पिछले साल के मुकाबले अधिक यूरिया किसानों तक पहुंच चुका है। दिसंबर और जनवरी में यूरिया की सर्वाधिक जरूरत होगी। उधर, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने यूरिया के लिए दुकानों पर लंबी लाइनें लगाने को कालाबाजारी से जोड़ा तो प्रदेश कांग्रेस ने मोदी सरकार पर किसान विरोधी रवैया अपनाने का आरोप लगाया है।प्रदेश में 30 से 40 प्रतिशत अधिक बारिश होने की वजह से जमीन में नमी है। रबी फसलों के लिए यह अनुकूल स्थिति है इसलिए किसान इस मौके का भरपूर लाभ उठाना चाहते हैं। यह वजह है कि बोवनी का काम तेजी के साथ चल रहा है। डीएपी और यूरिया की जरूरत किसानों को सर्वाधिक है। पिछले साल इसी मौके पर केंद्र ने मांग की तुलना में यूरिया की आपूर्ति नहीं की थी, जिसके चलते किसान अभी से जरूरत का यूरिया लेकर रखना चाहता है। जबकि, बोवनी के कम से कम 18 दिन बाद यूरिया की दरकार होती है। स्थिति को देखते हुए प्रदेश सरकार ने 18 लाख मीट्रिक टन यूरिया मांगा था लेकिन केंद्र ने 15 लाख 40 हजार मीट्रिक टन की ही मंजूरी दी।एक अक्टूबर से 30 नवंबर तक आठ लाख 76 हजार मीट्रिक टन यूरिया मिल जाना चाहिए था लेकिन छह लाख 85 हजार ही दिया गया। इसमें भी दो लाख मीट्रिक टन एक-दो दिन में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में आएगा। खाद की जरूरत को देखते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आपूर्ति बहाल करने और दिसंबर में दो लाख 40 हजार मीट्रिक टन यूरिया अतिरिक्त देने की मांग की है। उन्होंने ट्वीट के जरिए कहा कि प्रदेश में यूरिया का कोई संकट नहीं है। किसानों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है। यूरिया की आपूर्ति के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है। केंद्र सरकार से कोटा बढ़ाने के लिए संवाद किया जा रहा है। हम किसानों को यूरिया की कमी किसी सूरत में नहीं आने देंगे। हमारे पास पिछले साल के मुकाबले इस बार न सिर्फ ज्यादा यूरिया है बल्कि बिक्री भी ज्यादा हो चुकी है। कालाबाजारी रोकने के लिए पहले ही कलेक्टरों को निर्देश दिए जा चुके हैं। उधर, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने आरोप लगाया कि यूरिया को लेकर प्रदेश में कालाबाजारी हो रही है। किसानों को यूरिया के लिए पुलिस के डंडे खाने पड़ रहे हैं। जिलों में झड़प की घटनाएं सामने आ रही हैं। यूरिया का प्रबंधन करने की जगह सरकार का तंत्र कालाबाजारी के प्रबंधन में लगा है। भाजपा सरकार में किसानों को कभी भी खाद-बीज और यूरिया के लिए असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा। मुख्यमंत्री कमलनाथ के यूरिया को लेकर ट्वीट करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि सरकार किसानों को तबाह और बर्बाद कर रही है। पहले कर्जमाफी का झूठा वादा किया, बोनस व राहत राशि के लिए तरसाया और अब यूरिया के लिए तरसा रहे हैं। 24 घंटे किसान लाइन में लगा है। सरकार कह रही है कि यूरिया पर्याप्त मात्रा में है। उन्होंने दावा किया कि हमारे कार्यकाल में यूरिया का अग्रिम भंडारण कर लिया जाता था ताकि किसानों को कोई असुविधा न हो। सरकार ने यूरिया की ढंग से व्यवस्था नहीं की, जिसके कारण किसान दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर है। उधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार ने पहले प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अपना अंशदान नहीं दिया और अब यूरिया के कोटा कम कर दिया। इससे मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा सामने आया गया है। प्रदेश के भापजा नेता और सांसद मौन हैं। 


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