नगर निगम के खोखले दावों की पोल खोलती तस्वीर
सतना साफ सफ़ाई को लेकर भले ही नगर निगम द्वारा जितने बड़े बड़े दावे किए जा रहे हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है ।सतना नगर निगम क्षेत्र में अभी भी जहां तहां कचरे का ढेर लगा मिल जाता है।बता दें कि इनदिनों शहर में नगर निगम द्वारा निरीक्षण के लिए निरीक्षणकर्ता को लगाया है बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं।बता दें कि ये तस्वीरें उस समय सामने आ रही है जब स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 के लिए बाहर से टीम सतना आ रही है।ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है पिछले साल स्वच्छता सर्वेक्षण में सतना सबसे फिसड्डी साबित हुआ था लेकिन सतना नगर निगम उससे भी अभी तक सबक नहीं लिया है।यहाँ पर बताते चलें कि साफ़ सफाई को लेकर नगर निगम सतना द्वारा हर साल करोड़ों रुपये का बजट पास होता है। स्वच्छता सर्वेक्षण में रैंकिंग दिलाने और शहर को स्वच्छ रखने के नाम पर निगम प्रशासन ने पिछले दो वर्ष में करीब ढाई करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट खर्च कर दिया। इसके बावजूद शहर की कॉलोनियां और सड़के उतनी साफ नहीं हो पाई, जितनी होनी चाहिए थीं। निगम ने शहर को स्वच्छ रखने के लिए होर्डिंग लगवाए और अन्य संसाधन खरीदे। लेकिन, इस कवायद का पूरा फायदा नहीं मिल रहा। सड़क किनारे लगाए डस्टबिन उखड़ गए हैं।
अपील के नाम पर होती है दादागीरी :-
यहाँ पर बताना उचित होगा कि वार्ड नं 9 में डोर टू डोर कचरा संग्रहित करने वाली गाड़ियों के साथ जो निरीक्षक होता है वह पद के नशे में चूर रहता है।वह अपील के नाम पर लोगों से तानाशाही पूर्वक रवैया अपनाता है।गीला और सूखा कचरा अलग करने के नाम पर बीच सड़क में कचरा फैला देता है और उसे हटवाने की बात कहने पर कचरा घर पर फेंकवा देने की बात भी कहता है।तस्वीर नं 1 में जो कचरा दिखाई दे रहा है उसे नगर निरीक्षणकर्ता द्वारा ही फैलवाया गया है।वहीं दूसरी तस्वीर वार्ड नं 8 के राजीव गांधी पार्क के सामने की है जहाँ कचरे का अंबार लगा हुआ है।