नर्मदा न्यास को अध्यक्ष देकर सदस्यों की नियुक्ति करना ही भूल गई नाथ सरकार

हालांकि सरकार जल्द ही सदस्यों की नियुक्ति का दावा कर रही


अपना लक्ष्य


भोपाल - प्रदेश की धार्मिक महत्व रखने वाली नदियों के सरंक्षण के लिए गठित किए गए नर्मदा, क्षिप्रा एवं मंदाकिनी नदी न्यास के गठन के आठ माह बाद भी कमलनाथ सरकार उनमें सदस्यों की नियुक्ति नहीं कर सकी है। जिसके चलते अब तक यह न्यास नदियों के संरक्षण का काम ही शुरू नहीं कर पा रहा है। इस न्यास में आठ माह पहले भारी दबाव के चलते सरकार ने कंप्यूटर बाबा को अध्यक्ष बनाया था, लेकिन अब तक न तो सदस्यों की नियुक्ति की गई है और न ही न्यास के लिए दफ्तर दिया गया है। हालांकि सरकार जल्द ही सदस्यों की नियुक्ति का दावा कर रही है। गौरतलब है कि नर्मदा, क्षिप्रा एवं मंदाकिनी नदी न्यास में 6 सदस्यों की नियुक्ति की जानी है। इसमें 4 अशासकीय सदस्य होंगे और दो विधायकों को सदस्य बनाया जाना है। यह सदस्य नर्मदा किनारे के विधानसभा क्षेत्रों के विधायक होंगे। सरकार की ओर से अभी तक एक भी सदस्य नहीं की गई है, यही वजह है कि न्यास निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप काम शुरू नहीं कर पाया है। नर्मदा संरक्षण के नाम पर कंप्यूटर बाबा सिर्फ बातें कर रहे हैं, अब तक इस दिशा में कोई ठोस कार्य नहीं किया गया है।


कंप्यूटर बाबा भी बातों तक ही सीमित


गत मार्च में अध्यक्ष की कुर्सी संभालने के तुरंत बाद कंप्यूटर बाबा ने नर्मदा परिक्रमा के लिए सरका से हेलिकॉप्टर की मांग की थी। उनका कहना था कि मुझे प्रदेश की जीवन रेखा मानी जाने वाली नदी की वास्तविक स्थिति का पता लगाने नर्मदा नदी का हवाई सर्वेक्षण करना है। हेलिकॉप्टर से मुझे पिछली शिवराज सरकार के दौरान नदी तट पर लगाए गए पेड़ों की स्थिति के साथसाथ नदी में बड़े पैमाने पर रेत खनन के बारे में वास्तविक सच्चाई का पता लगाने में मदद मिलेगी। हालांकि सरकार ने अब तक उन्हें हेलिकॉप्टर उपलध नहीं कराया है। कंप्यूटर बाबा ने नदी किनारे के गांवों के युवा स्वयंसेवकों की नर्मदा युवा सेना का निर्माण करने और मां नर्मदा हेल्पलाइन शुरू करने की बात भी कही थी


तापी न्यास को भी भलाया


सरकार ने ताप्ती नदी के संरक्षण के लिए तापी न्यास का भी गठन किया था। अब तक इस न्यास में न तो अध्यक्ष की नियुक्ति की गई है और न ही सदस्यों की नियुक्ति की जा सकी है। न्यास में 4 अशासकीय सदस्य और 2 विधायक सदस्य होंगे। न्यासों के लिए


50-50 लाख रुपए के बजट का प्रावधान हो चुका है।


मठ मंदिर समिति में भी नहीं बने सदस्य राज्य सरकार मठ-मंदिर सलाहकार समिति के सदस्यों की नियुक्ति नहीं कर पाई है। शासन स्वविवेक से समिति में कितने भी सदस्यों की नियुक्ति कर सकता है। स्वामी सुबुद्धानंद को मई में समिति का अध्यक्ष बनाया गया था।


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