न्याय प्रक्रिया में महिलाएं एक तिहाई से भी कम

न्यायपालिका पर खर्च में दिल्ली सबसे आगे


न्याय देने की प्रक्रिया में देश के आधी आबादी की भूमिका एक तिहाई से भी कम है। अदालतों में जहां महज 26.5 फीसदी ही महिला न्यायाधीश हैं तो पुलिस बल में महज 7 फीसदी। जबकि जेलों में महिला कर्मियों की संख्या महज 10 फीसदी से भी कम है। इतना ही नहीं, दिल्ली पुलिस में महिलाओं की 33 फीसदी भागीदारी सुनिश्चित करने में 81 साल लग जाएंगे। जबकि बिहार प्रयास करे तो इसे महज 18 साल में हासिल कर लेगा। इसका खुलासा इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2019 की रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट में न्यायिक व्यवस्था (अदालत, पुलिस, जेल) में महिलाओं की भागी नहीं होने पर चिंता जताई गई है। इसमें कहा गया है कि देशभर में न्याय नोटबंदी और कानून व्यवस्था में महिलाओं की संख्या काफी कम है। इतना ही नहीं, इसमें कहा गया है कोई भी राज्य अपने यहां अनुसूचित जाति, अनुसुचित जनजाति, और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित कोटे में योग्य महिला पुलिस अधिकारियों की भर्ती नहीं कर रहा है। टाटा ट्रस्ट व अन्य संस्थाओं की ओर से जारी इंडिया जस्टिस 2019 के अनुसार देश के छह राज्य ऐसे हैं जहां पुलिस बल में महिलाओं की भागीदारी 33 फीसदी करने में 100 से 300 साल लग जाएंगे। इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर में 10 गुना अधिक यानी वहां पुलिस बल में महिलाओं को 33 फीसदी भागीदारी सुनिश्चित करने में 3535 साल लग जाएंगे।


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