प्रदेश में 28 हजार डायबिटीज से पीड़ित

युवा तेजी से आ रहे बीमारी की चपेट में


अपना लक्ष्य 


भोपाल : प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के गैर संचारी रोग (एनसीडी) में पिछले साल 3 लाख 34 लोगों की डायबिटीज की जांच की गई, जिसमें 28 हजार डायबिटीज से पीड़ित मिले हैं। यह आंकड़ा केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पिछले हफ्ते जारी नेशनल हेल्थ प्रोफाइल में सामने आया है। प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में गैर संचारी रोग क्लीनिक शुरू किए गए हैं। अस्पताल में किसी भी बीमारी के इलाज के लिए आने वाले हर उम्र के मरीजों की यहां पर बीपी व शुगर की जांच की जाती है। जांच किए गए मरीजों में नौ फीसदी डायबिटीज व करीब 13 फीसदी हाई ब्लड प्रेशर के शिकार मिले हैं। 29 हजार मरीज ऐसे मिले हैं, जिन्हें बीपी व डायबिटीज दोनों था। हमीदिया अस्पताल के इंडोक्रायनोलॉजिस्ट डॉ. मनुज शर्मा ने बताया कि 10 साल पहले 25 से 40 साल की उम्र वाले डायबिटीज के एक-दो फीसदी मरीज मिलते थे। अब शहरी आबादी 10 से 15 फीसदी और ग्रामीण आबादी में 8 से 10 फीसदी मरीज डायबिटीज के मिल रहे हैं। डॉ. शर्मा ने कहा डायबिटीज के इलाज के लिए डियोडोनल म्यूकोजल रिसफेंसिंग (डीएमआर) तकनीक आ गई हैं। इसमें शुगर को नियंत्रित करने वाले हार्मोन में बनने लगते हैंडायबिटोलॉजिस्ट डॉ. सचिन गुप्ता ने बताया अभी तक उन्हें कई ऐसे मरीज मिले हैं, जिनका शुगर का स्तर 500 एमजी/डीएल तक पहुंच चुका होता है। इसके बाद भी उन्हें पता नहीं चलता कि डायबिटीज है। देर से पता चलने में सबसे बड़ा नुकसान यह है कि मरीज के गुर्दे, हार्ट व अन्य अंगों पर असर होने लगता है। विशेषज्ञों की माने तो डायबिटीज के मरीज तनाव, असंतुलित खान-पान, व्यायाम नहीं करना, मोटापा, पर्याप्त नींद नहीं होने की वजह से बढ़ रहे हैं।डायबिटीज के लक्षणों में बार-बार पेशाब आना, प्यास ज्यादा लगना, भूख ज्यादा पर खाने के थोड़ी देर में फिर भूख लगना, भरपूर भोजन के बाद भी वजन कम होना, घाव नहीं भरना, सुस्ती, चिड़चिड़ाहट आदि शामिल है।


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