राष्ट्रपति शासन की ओर महाराष्ट्र

मुंबई, एजेंसी महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना में जारी तनातनी से नई सरकार को लेकर अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है। महाराष्ट राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है। शनिवार को ही मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि अगर भाजपा और उसकी सहयोगी शिवसेना तब तक अपने मतभेदों को सुलझा नहीं पाते हैं तो क्या होगा? इस स्थिति में महाराष्ट्र के राज्यपाल बीएस कोश्यारी के सामने कौन से विकल्प होंगे। संविधान के विशेषज्ञ सुभाष कश्यप बताते हैं कि राज्यपाल के पास चार बड़े विकल्प मौजूद हैं। 11. राज्यपाल मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से कार्यवाहक सीएम के तौर पर काम करने के लिए कहेंगे, जब तक नए सीएम नहीं बन जाते क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि मुख्यमंत्री का कार्यकाल असेंबली के साथ ही खत्म हो जाए12. गवर्नर कोश्यारी सबसे बड़ी पार्टी (यहां भाजपा है, जिसे 288 में से 105 सीटें मिली हैं) के नेता को सीएम नियुक्त करेंगे, जिसे वह समझें कि वह सदन में बहुमत साबित कर सकते हैं, भले ही वह बाद में फ्लोर टेस्ट में फेल हो जाए। 13. गवर्नर असेंबली से फ्लोर पर अपने नेता का चुनाव करने के लिए कह सकते हैंअगर कोई विवाद है तो इसके लिए बैलट पेपर्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। (1998 में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी महाराष्ट्र विधानसभा में नए सीएम जगदंबिका पाल और हटाए गए उनके पूर्ववर्ती कल्याण सिंह के बीच फैसला करने के लिए वोट करने को कहा था।) 14. अगर कोई भी पर्याप्त संख्याबल के साथ सरकार बनाने का दावा नहीं करता है और पहले तीन विकल्प फेल हो जाते हैं तो गतिरोध को खत्म करने के लिए राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं।


राज्य में अभी के हालात


शिवसेना ने गुरुवार को बैठक करने के बाद अपने विधायकों को होटल भेज दिया, जहां वे कल देर रात तक रह सकते हैं। शिवसेना ने सरकार गठन पर अंतिम निर्णय लेने के लिए उद्धव ठाकरे को अधिकृत किया है। ठाकरे की अगुआई में पार्टी के सभी विधायकों की बैठक एक घंटे तक चली जिसमें राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की गई।


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