RTI कार्यकर्ता की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की डीबी बेंच ने दिया आदेश

*अपराधों और भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जल्द जाँच पूरी करके, दोषियों के खिलाफ राज्य शासन ठोस कार्यवाही करें और चार्जशीट फाईल करें


*ट्रायल कोर्ट में दर्ज प्रकरणों को कोर्ट समय सीमा में निपटाए


 


सूचना का अधिकार में इंदौर के पत्रकार-आरटीआई कार्यकर्ता  को ऐसे दस्तावेज मिले जिनसे ख़ुलासा हुआ की, मध्यप्रदेश में ऐसे पुलिस अधिकारी और कर्मचारी अपराध रोकने की ज़िम्मेदारी निभा रहे है, जो ख़ुद चोरी, जप्त सामग्री की हेराफेरी करना, छेड़छाड़ करना, शासकीय आवास में जबरन बंधक बना कर फ़रियादी से फिरौती लेना, रिश्वत लेकर आरोपियों को छोड़ना, नक़ली केस डायरी बनाना, रोजनामचे में झूठी रिपोर्ट दर्ज करना, पद का दुरुपयोग कर गलत धाराएँ लगाना, भूमाफ़ियाओं को अवैधानिक कार्य में सहयोग करना, वारंट के नाम पर वसूली करना, आरोपियों को बचाने के लिए कोर्ट में असत्य कथन करना, आरोपियों को ज़मानत लेने में मदद करना, दूसरे अधिकारी के द्वारा की जा रही जाँच में हस्तक्षेप करना, एनडीपीएस एक्ट के आरोपियों को बचाना, साक्ष्य ग़ायब करना, केस डायरी छुपाना, मृतक द्वारा गोली चलाना बताना, आरोपियों को बचाने के लिए ग़लत लिखापढ़ी करना जैसे कई गंभीर अपराधों में दोषी पाए गए है । इसे लेकर RTI कार्यकर्ता गुप्ता ने इंदौर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाख़िल कर दोषी पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने, उनके खिलाफ अपराध अनुसार भारतीय दंड विधान और भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं में FIR दर्ज करने सहित 6 माँगों के साथ जनहित याचिका दाख़िल की थी । याचिका पर 01//11/2019 को सुनवाई उपरांत हाईकोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट इंदौर के जस्टिस एस.सी.शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की डीबी बेंच ने आज दिनांक 14/11/19 को आदेश जारी कर राज्य शासन को निर्देश दिए है की वो जल्दी से जल्दी दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जाँच पूरी कर कोर्ट में चार्जशीट फाईल करें। ट्रायल कोर्ट भी प्रकरणों का निराकरण समयावधि में करें।


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