सफल अभ्यर्थियों को राहत, संभाग में आधा दर्जन आए उच्च शिक्षा विभाग ने अंततः जारी किया नियुक्ति आदेश

 


विशेष रिपोर्ट। देर से ही सही पर सरकारी कालेजों का लंबा इंतजार सुखद परिणाम लेकर सामने आया है। एक जमाने से पढ़ाने वालों के महा संकट से जूझने वाले सरकारी कालेजों के प्रबंधन को यह उम्मीद बंधी है कि जल्द शैक्षणिक व्यवस्था के नाम पर अच्छे दिन आने वाले हैं। साल 2018 जुलाई माह में लोक सेवा आयोग इंदौर ने खाली पड़े सहायक प्राध्यापकों के पदों के हिसाब से पीएससी परीक्षा का आयोजन कराया। इसके बाद बकायदा परीक्षा परिणाम घोषित किए गए। इसी दौरान आरक्षण प्रक्रिया के खिलाफ  हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका दायर कर दी। काफी समय तक यही चलता रहा, बड़ी मुश्किल से हाईकोर्ट जबलपुर ने अपना फैसला सुनाया और पीएससी परीक्षा में सफल होने वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई। अतिथि विद्वानों के नियमित विरोध प्रदर्शन के कारण भी शासन स्तर से विलंब किया जाने लगा। अंततः मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पीएससी परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले लोगों की शासकीय कालेजों में खाली पदों के विरुद्ध नियुक्ति आदेश जारी करवा दिया है। इसी वजह से अतिरिक्त संचालक कार्यालय रीवा संभाग अंतर्गत शहडोल और रीवा संभाग में संचालित होने वाले शासकीय महाविद्यालयों में यह उम्मीद बंध गई है कि जल्द सहायक प्राध्यापकों का सूखा सरकारी कालेजों से समाप्त होता नजर आने लगेगा। अभी हाल ही में मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने पहले चरण की नियुक्ति प्रक्रिया पर फैसला किया है। रीवा और शहडोल संभाग में संचालित होने वाले 71 शासकीय महाविद्यालयों में से शासकीय ठाकुर रणमतसिंह महाविद्यालय, शासकीय पीजी कॉलेज सतना, शासकीय संस्कृत कालेज शहडोल और शासकीय महाविद्यालय मऊगंज में एक सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति की गई है।


 


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