हनी ट्रेप : आईएएस निपटाएंगे डीजीपी को !

Apna Lakshya News 


 


भोपाल। 


मध्यप्रदेश में आईएएस ही सरताज हैं। नेता,मंत्री हों या फिर आईपीएस, सब पर भारी है आईएएस लाबी। इस लाबी को छेड़ने का मतलब है मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालना। जिसने भी इनकी तरफ टेढ़ी नजर से देखा उसका निपटना अब तय मान लिया जाता है। ताजा मामला हनी ट्रेप का है। 10-12 साल से हुस्न की मल्लिकाएं शासन-प्रशासन में हनी बिखेरती रहीं, उनका बाल भी बांका नहीं हुआ, दिन दूना-रात चौगुना कारोबार बढ़ता रहा। जैसे ही एक आईएएस की नंगी तस्वीरें वायरल की हुईं उसके बाद एक-एक कर उन सेक्सी बालाओं को धर दबोचा गया।



इंदौर का माफिया जीतू सोनी, लड़कियों का अपहरण कर अपने होटल में कैद किए रहा। उन्हें मजबूरन नचवा कर अपना धंधा चमकाता रहा। मकानों पर कब्जा कर सीधे साधे लोगों को बेघर करता रहा। लेकिन शासन-प्रशासन वर्षों तक उस पर कार्यवाही करने के बजाए उसे सहयोग करता रहा। कभी किसी अफसर ने उसकी तरफ टेढ़ी नजर से नहीं देखा, लेकिन जैसे ही उसने अपने अखबार में हनी में लिपटे आईएएस के चेहरों से नकाब उतारना शुरू किया उसे रातों रात बर्बाद कर दिया गया।


मध्यप्रदेश में आईएएस लाबी कितनी पावरफुल है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्तमान डीजीपी वी.के.सिंह की कुर्सी केवल इस लाबी के कारण ही डांवाडोल हो गई है। डीजीपी सिंह की कार्यशैली से घबराई आईएएस लाबी उन्हें किसी भी कीमत पर हटाने के लिए अमादा है। तत्कालीन डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला को हटाकर कमलनाथ सरकार ने ही वी.के.सिंह को कुर्सी पर बैठाया था। इस एक साल में मुख्यमंत्री और डीजीपी के बीच मतभेद के कोई खास कारण नजर नहीं आए, सिवाए आईएएस से जुड़े इन तीन मसलों के – पहला मामला मध्यप्रदेश में पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लागू करने का था। प्रारंभिक दौर में सीएम कमलनाथ इसे इंदौर,भोपाल जैसे शहरों में लागू करने के पक्षधर भी थे। मगर आईएएस लाबी अपने अधिकारों में किसी भी तरह की कटौती के खिलाफ थी,है और रहेगी। आईएएस के दबाव में पुलिस कमिश्नर सिस्टम मध्यप्रदेश में अब लागू नहीं होगा।


दूसरा मामला – बहुचर्चित हनी ट्रैप का है। देहव्यापार में लिप्त हाईप्रोफाइल महिलाओं को गिरफ्तार कर डीजीपी वी.के.सिंह ने एसआईटी का गठन कर दिया, और इसका चीफ तेजतर्रार अफसर संजीव शमी को बना दिया। यह जानते हुए कि हनी में सने चेहरों में अधिकतर आईएएस ही हैं। दरअसल डीजीपी सिंह ने जिस अफसर को एसआईटी की जिम्मेदारी दी उनकी गिनती ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अफसरों में होती है। जांच में कोई उन्हें प्रभावित नहीं कर सकता। उनकी नियुक्ति का असर भी दिखा। हनी में लिपटे चेहरों से नकाब उठने लगा। अय्याशी करने वालों की नींद उड़ गई। मगर फिर रातों रात उन्हें हटाकर नया चीफ बना दिया गया।


तीसरा मामला थप्पड़ कांड का है। राजगढ़ कलेक्टर ने एक एएसआई को थप्पड़ मारा। जांच के बाद जब आरोप प्रमाणित हुए तो डीजीपी ने गृह विभाग को पत्र लिखकर कार्यवाही करने के लिए कहा। एक के बाद एक ऐसे मामले हुए जिससे पहले तो आईएएस टारगेट हुए और अब डीजीपी खुद निशाने पर आ गए हैं। बहरहाल डीजीपी को हटाने का अधिकार सरकार को है। मगर इतना तो तय है कि अगर इन परिस्थितियों में वी.के.सिंह को हटाया गया तो संदेश तो यही जाएगा कि सरकार आईएस लाबी के दबाव में काम कर रही है।


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